स्टोरी

शादी के बाद 2 महीने तक वह ससुराल में थी और अब अपने पति के साथ चेन्नई जाने वाली थी, क्योंकि उसका पति वहीं पर नौकरी करता था। इसीलिए वहां जाने से एक दिन पहले अपनी मम्मी पापा से मिलने आई थी। मम्मी ने बेटी दामाद का जी भर के स्वागत किया। पापा बाजार से तरह-तरह के मिठाइयां और पकवान लेकर आए, क्योंकि दामाद घर आए हुए थे। मम्मी ने भी घर पर बहुत अच्छा खाना बनाया था। सब कुछ बेटी दामाद के आवभगत में किया जा रहा था। मम्मी ने अलग से बेटी को कटोरी में कटहल की सब्जी दी, जो की ढेर सारा लहसुन प्याज डालकर बनाया गया था। कड़वा सत्य।दामाद जी के घर में लहसुन प्याज नहीं चलता था, इसलिए मां को पता था, दामाद जी वह सब्जी नहीं खाएंगे। बेटी ने अपनी फेवरेट सब्जी की कटोरी किनारे कर दी, यह बोलते हुए की मम्मी इनके घर में तो लहसुन प्याज चलता नहीं, तो अब मैं भी खा कर क्या करूंगी? धीरे-धीरे लहसुन प्याज खुद ही छूट जाएगा, अब दोबारा इसे खिलाकर मेरे मुंह में इसके स्वाद का लालच मत डालो, सुनकर मां की आंखों में आंसू से आ गए। कितनी समझदार हो गई उनकी बिटिया। जिस कटहल को खाने के लिए मचल उठती थी, आज उस कटहल की कटोरी को किनारे कर दिया। जिस बेटी को लहसुन प्याज के बिना सब्जी गले से नीचे नहीं उतरती थी, आज वह लहसुन प्याज छोड़ने की बात कर रही है। तड़प उठी मां अंदर से, लेकिन क्या कर सकती थी? समाज की यही रीत है। लड़कियों को हर माहौल के साथ सामंजस्य बिठाना ही पड़ता है। बेटी ने किनारे जाकर मां से कहा, मां बुरा मत मानना, अगर मैं कटहल की सब्जी खा लेती और ये अपनी मम्मी से बोल देते, तो सासु मां खामख्वाह बहुत नाराज होती, कि मैंने लहसुन प्याज खा लिया, और फिर फालतू में विवाद का एक मुद्दा बन जाता, जिसमें  तुम लोगों को भी शामिल कर लिया जाता। मैं ऐसा कुछ नहीं चाहती। बेटी की समझदारी पर मां बहुत खुश थी। जाते-जाते बेटी ने कहा, मां आप जो मिर्ची का अचार बनाती है ना, प्लीज थोड़ा सा दे दीजिए।  चेन्नई लेकर जाऊंगी, कभी-कभी दिल करता है खाने को। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।मां को बहुत अच्छे से पता था, बेटी को कभी-कभी सब्जियां खाने का दिल नहीं करता, तब वह मिर्ची के अचार से बहुत आराम से खाना खा लेती है ,बिना किसी सब्जी के। लेकिन चाह कर भी मां अपनी बेटी को अचार नहीं दे पाई, यह बोलते हुए ,की बेटी मजबूरी है, मैं तुझे अचार नहीं दे पाऊंगी। मायके से अचार नहीं दिया जाता। यह बोलते हुए दिल रो उठा था मां का, की बेटी ने मुंह खोलकर कुछ मांगा था, और वह नहीं दे पा रही। लेकिन मां ने अपने दिल को मजबूत करते हुए कहा था, तू परेशान क्यों होती है? तू चेन्नई पहुंच, मैं तुझे फोन पर बिल्कुल अच्छे से उसकी रेसिपी बता दूंगी, तू बना लेना। कड़वा सत्य।बहुत अच्छी बनेगी। बेटी भी मां की मजबूरी समझ गई थी और मां से बोली, हां मां आप बता देना ,मैं बना लूंगी। उधर दामाजी हल्ला कर रहे थे ,जल्दी चलो लेट हो रहा है। मम्मी ने 2 घंटे का बोला था, 3 घंटे होने को है। बेटी ने बोला, मम्मी चलती हूं ,नहीं तो सासू मां नाराज होंगी। मां ने बोला, हां बेटी जल्दी जा, और उधर दामाद जी मजाक मजाक में बोल रहे थे, औरतों को तो बस रोने का बहाना चाहिए होता है, कि कब मौका मिले ,और कब अपने आंसू बहाए। क्योंकि वह एक पुरुष थे, और एक औरत के दिल का दर्द वह कभी नहीं समझ सकते थे, जिसे अपना पूरा अस्तित्व जड़ समेत उखाड़ कर ,एक जगह से दूसरे जगह स्थापित करना होता है।

Comments