“Ek Ladki Ko Dekha Toh”

जिस खुबसूरत लड़की को देखकर फिदा हो गया था कुणाल, वो जानता नहीं था कि वो कोई और नहीं बल्कि उसी की पत्नी अनिका है, जिसे उसने उसके मोटापे और नाजायज़ प्रैग्नेन्सी के कारण छोड़ा था। 

मगर अनिका तो ज़िल्लत के मारे ये शहर छोड़कर चली गयी थी, फिर क्यों आयी है वापस? क्या वो जान गयी है अपनी मिस्ट्रीयस प्रैग्नेन्सी के राज़ को या वो पर्दाफास करने वाली है किसी और षड्यंत्र का?

Chapter 1

"आनिका...तुम सुन रही हो ना मेरी बात?? तुम मां बनने वाली हो आनिका..!"

डॉक्टर के ये शब्द सुनते ही 18 साल की अनिका की कमज़ोर आँखें एकदम से चौड़ी हो गयीं। वो समझ नहीं पा रही थी, की वो आखिर प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है? जितनी शॉकड अनिका थी, उतने ही शॉकड उसके पापा भी थे, जो डॉक्टर की बात सुनते ही अनिका पर बरस पड़े।

“बेशरम! कल ही तेरी शादी हुई है और आज तू यह कह रही है की तू प्रेग्नेंट है...कुनाल तो शादी के तुरंत बाद दिल्ली चला गया था, तो फिर ये सब कैसे? तेरे ससुराल वालों को क्या जवाब देंगे?” 

“मैंने कोई गलत काम नहीं किया है पापा। आज तक मुझे किसी लड़के ने छुआ तक नहीं, पता नहीं ये सब कैसे हो गया। देख अनिका तुझे इस बच्चे को गिराना होगा वरना हम समाज में कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे!

पर तभी डॉक्टर ने अनिका के पापा को टोकते हुए कहा। देखिये सर…अनिका चार महीने की प्रेग्नेंट है इसलिए अब अबॉर्शन पॉसिबल नहीं।

ये सुनके अनिका के पापा फिर अनिका पर बरस पड़े।

चार महीने से ये सब गंदगी चल रही है और तू हमें अब बता रही है? सच सच बता किसका पाप है ये? इतनी मुश्किल से वो लोग हमें उस दलदल से बाहर लाए हैं अब तेरी वजह से दोबारा उस दलदल में नहीं फंसना चाहता मैं।

ये सुन अनिका फूट-फूटकर रोने लगी।

मेरा यकीन कीजिए पापा पिछले चार महीनों में मैंने घर के बाहर कदम तक नहीं रखा। 

अगले दिन अनिका के पापा ने घर में लगे सारे सीसीटीवी कैमरे की पिछले  चार महीनों की फुटेज खानगाली और जिसे देखने के बाद उनका सर चकरा गया। 

ये  कैसे हो सकता है  पिछले 4 महीनों में तो  छोटी-मोटी बीमारी के चलते अनिका घर के बाहर कहीं गई ही नहीं। और ना ही अनिका से कोई मिलने आया,  जब वो किसी से मिली ही नहीं तो फिर यह प्रेगनेंसी ? सीसीटीवी फुटेज को देखकर गौतम इतना तो समझ गए थे, कि कहीं तो कुछ गड़बड़ थी। 

लेकिन अनिका की बेकसूरी से ज्यादा उनको  चिंता थी कि यह सच जानने के बाद डोगरा खानदान क्या करेगा ? 

जल्द ही अनिका की देखभाल के लिये एक नर्स रखी गई। जिसके बाद अनिका की तबियत में सुधार आ रहा था, चार महीने बीत चुके थे, अनिका अपनी प्रेगनेनसी में लगभग सब कुछ भूल चुकी थी, ना वो किसी से मीलती, न कोई उससे मिलता सिर्फ़ वो अपने अंदर पनप रही उस नन्ही सी जान से बात करती रहती! 

ऐसे ही एक दिन अपने घर के गार्डन में खड़ी अनिका पानी छिड़क रही थी, तभी एक बाइक की आवाज में अनिका को सन कर दिया। बाइक आकर बंगले की सीडीओ के पास रूकी। लेदर शूज, टाइट जींस, डार्क ब्लू टी-शर्ट और चेहरे पर लगे पीले चश्मे के आर पार लड़के की गहरी लाल आंखें साफ दिखाई दे रही थी। 

अनिका ने जैसे ही उस लड़के को देखा उसकी धड़कने मानो डर और टेंशन से तेज हो गई। ये लड़का और कोई नहीं बल्कि अनिका का पति कुणाल डोगरा था। 
कुणाल तू..तुम। वो..पापा तो नहीं है, घर पे।  

प्रेग्नेंसी की वजह से अनिका पहले से भी ज्यादा मोटी नजर आ रही थी। सुजा हुआ चेहरा, 8 महीने की प्रेगनेंसी वाला मोटा पेट, गद्दी जैसे मोटे हाथ और पांव, जिसकी वजह से कुणाल अनिका को बहुत ध्यान से एकटक देखे जा रहा था। 

वेसे तो कुणाल की शादी अनिका से उसकी मर्ज़ी के खिलाफ करवायी गयी थी, लेकिन अपनी बीवी की कोख में किसी और का बच्चा देखना कोई भी मर्द शायद बर्दाश्त न कर पाए।  

तभी वहां अनिका के पिता गौतम आ गए। “अरे कुणाल बेटा आज अचानक से तुमने फ़ोन किया की तुम आ रहे हो? तुम्हारी कॉलेज में छुट्टियाँ शुरू हो गई क्या? "पुरे 4 महीने बाद आया हूं, ऐसे बोलकर अपने दामाद वेलकम करोगे आप? 

वैसे.. काफी कुछ बदल गया है यहाँ पे"

कुणाल ने अनिका के पेट की तरफ देख कर अपनी जेब से रम की बोतल निकाली और मुह से लगा ली। वो आया तब से उसकी नज़र अनिका के पेट पर ही जमी हुई थी.. माहौल  को  थोड़ा  ठीक  करने  के  लिए  गौतम ने  कुणाल  से कहा .....

“आओ कुणाल बेटा.. अंदर चल कर बात करते है” ."देखो कुणाल, अगर तुम ये शादी तोडना चाहते हो, तो मैं समज सकता हु.." 

ये सुनते ही कुणाल चिल्ला उठा...

"जो  बात तुम समज सकते हो वो बात मेरे बुड्ढे दादाजी नहीं समज सकते ना... जबरदस्ती इस मोटी के साथ मेरी शादी करवादी... और अब दादाजी चाहते है की  इसके नाजायज़ बच्चे को भी मैं अपना नाम दू... एक तो इस मोटी को मेरे गले बांध कर पता नहीं किस बात का बदला ले रहे है मुझसे...! "एक तो इससे देख ता हु तो ऐसा लगता है जैसे मुझे किस्सी ऐसे गुन्हा की सजा दी जा रही है जो मैंने किया ही न हो! शादी के मंडप से तुरंत इस्सी लिए भागा था मैं.. ताकि मुझे इसके साथ एक पल भी न रहना पड़े..!"

बोलते बोलते कुणाल की सासें फूलने लगी थी जैसे की वो महीनो से अपने अंदर भरी हुई भड़ास निकाल रहा हो...कुणाल का आक्रोश अपनी चरम सीमा पर था. अब भी कोई कसर बाकि रह गयी हो वैसे उसने अनिका की तरफ इशारा करते हुए आगे कहा
"देखो इस बेशरम लड़की को.. शादी के फेरे लेते वक़्त पेट में किसी और का बच्चा लिए घूम रही थी. और इतना होने के बाद भी आज मेरे सामने ऐसे बेशर्मो की तरह खड़ी है...!! क्या लगा तुझे... की मैं तेरे इस बच्चे को मेरा नाम दे दूंगा? कुनाल डोगरा का नाम???? पता नहीं किस गटर का कीड़ा है.."

अनिका कुणाल की बातें सुन कर जितना ज़्यादा हर्ट थी, उतनी ही ज़्यादा गुस्से में भी थी... वो भले ही अपने मोटापे की वजह से ऐसी सब बाते सुनने की आदि थी मगर अभी उसे इस बात पर कुणाल से ज़्यादा खुद पर घिन आ रही थी.. की कोई उसके होनेवाले बच्चे को गाली दे रहा था और वो मजबूर खड़ी सुन क्यों रही थी?... 

बच्चे का ख्याल आते ही नजाने कैसे.. अचानक अनिका के अंदर अजीब सी हिमत आ गयी... और बिना कुछ सोचे, वो बोल पड़ी  
“मैं इस शादी को नहीं मानती....” 

ये सुनने को गौतम और कुणाल, दोनों शॉक्ड थे... कुणाल सोच रहा था कि कल की आई फिद्दी सी लड़की में इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि वो मेरे यानी कुणाल डोगरा के सामने ऐसे बोले..?!! लेकिन इससे पहले कि वो कुछ रिएक्ट कर पाता, गौतम ने बात को संभालते हुए कुणाल से कहा 

"इस वक्त अनीका की तबियत ठीक नहीं है.. इसलिए तुम उसकी बातों पर ध्यान मत दो... और रहा सवाल बच्चे का... तो उसके पैदा होते ही उसे अनीका से हमेशा के लिए अलग कर दिया जाएगा... मेरा यकीन करो"

अपने पापा की ये बात सुनकर अनीका को ऐसा लगा जैसे किसी बड़े से ट्रक ने उसे पीछे से टक्कर दी हो... और वो ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही हो... टेंशन में अनीका की सांसें फूलने लगीं... और एक पल के लिए वो सांस लेना छोड़ दी... ठीक उसी पल में अचानक से अनीका के पेट में जोर से दर्द शुरू हो गया... 

दर्द के मारे अनीका एक झटके से अपने पीठ के बल गिरी..... और ओझल होती आँखों से उसने देखा कि गौतम दौड़ कर उसके पास आ रहा था.... गौतम ने हड़बड़ी में फ़ोन करके एम्बुलेंस को बुला लिया था, लेकिन ये सब देखने के बावजूद कुणाल वही खड़ा बेशर्म और बेरहम बनकर रम के घुट मार रहा था... मानो उसे किसी भी चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो... शाम की मध्यम रौशनी अनीका के सामने धुंधली हो रही थी…

और देखते ही देखते वो बेहोश हो चुकी थी… और फिर बच्चे के रोने की आवाज़ से अनीका की आंखें खुलीं… अनीका ने देखा कि दो फूल जैसे प्यारे बच्चे उसकी बगल में लेटे हुए थे… ये जुड़वा बच्चे थे जिन्हें अनीका ने जन्म दिया था… इनमें से एक लड़का था और एक लड़की…

उन बच्चों को देखकर अनीका ने अपने सारे ग़म भूल गई… वो अभी दोनों बच्चों को अपनी गोद में लेने जा ही रही थी कि अचानक एक नकाबपोश आदमी ने उन दोनों बच्चों को उससे छीनने की कोशिश की… अनीका इस वक्त कमजोर थी इसलिए पूरी कोशिश के बावजूद वो उस आदमी का सामना नहीं कर पाई…

अनीका ने अपनी बेटी को तो उस नकाबपोश से बचा लिया पर वो नकाबपोश अनीका के बेटे को उससे छीनने में कामयाब हो गया… और अनीका को इस बात का बड़ा सदमा लगा जिसकी वजह से उसकी तबियत खराब होने लगी… इसी लिए उसके पापा ने अनीका को उसकी बैंगलोर में उसकी मौसी के पास भेज दिया… धीरे-धीरे अनीका की हालत सुधरने लगी

और उसने अपनी बेटी के साथ एक नयी जिंदगी शुरू की… देखते ही देखते 6 साल बीत गए…. इन 6 सालों में बहुत कुछ बदल गया था… अनीका अब पहले की तरह मोटी नहीं बल्कि एक स्लिम फिगर वाली खूबसूरत औरत में तब्दील हो चुकी थी… और किसी के लिए भी उसे पहचान पाना अब मुश्किल था… यही नहीं इन 6 सालों में अनीका एक जानी मानी डॉक्टर बन चुकी थी

और डॉक्टर अमृता के नाम से मशहूर थी… इन 6 सालों में अनीका के पापा ने एक बार भी उसे कॉल नहीं किया था पर आज अचानक उनका कॉल आया और उन्होंने जो कहा वो सुनकर अनीका के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए…

क्या बात है अनीका? किसका कॉल था?

अनीका की मौसी ने उससे पूछा

पापा का कॉल था…मुझे मनाली जाना होगा मौसी…

 पर यूं अचानक? ऐसी क्या बात हो गई?"

"पता नहीं… उन्होंने कहा कि बहुत ज़रूरी है… वहाँ पहुंचने पर ही बताएंगे।"
यूँ तो अनिका मनाली के नाम से ही घबरा जाती थी क्योंकि उसके अतीत की बुरी यादें उस जगह से जुड़ी थीं… और वो नहीं चाहती थी कि उसके अतीत की परछाइयाँ उसकी 6 साल की बेटी रिया पर पड़ें। पर आज अनिका ने फैसला किया कि वो अपने डर का सामना करेगी… 

 उसने मन ही मन खुद को हौसला देते हुए कहा…
अपने अतीत से और कितना भागेगी अनिका? यही मौका है तेरे उस अधूरे काम को पूरा करने का जो तू 6 साल पहले नहीं कर पाई थी… तुझे अपने खोए बच्चे को ढूंढना ही होगा!

ये सोचकर अनिका ने अपनी सामग्री पैक की और अपनी बेटी रिया के साथ मनाली की फ्लाइट में बैठ गई… जैसे ही फ्लाइट लैंड हुई, अनिका का फोन बजा... उसके फोन पर उसके पापा गौतम का फ़ोन आया। अनिका के फोन उठाते ही गौतम ने बिना कोई खबर पूछे अनिका से कहा कि
"कुणाल तुम्हें लेने एयरपोर्ट आ रहा है.. उसके साथ सीधे घर आ जाना.... यहां तुम्हें ……"
इतना कहकर गौतम अटक गया....और फिर कुछ सोच कर आगे कहा कि
"खैर तुम घर आओ.. मैं तुम्हे सब बताता हूं"

अनिका ये सुनकर सोच में पड़ गई …
"कुणाल मुझे लेने आ रहा है? पर क्यों? 6 सालों में एक बार भी कोई फोन नहीं किया उसने, और अब मुझसे मिलना क्यों चाहता है? आखिर ऐसी कौन सी बात करना चाहते हैं पापा मुझसे?"

"यही सब सोचते हुए, अनिका एयरपोर्ट के .exit gate की ओर बढ़ती जा रही थी...जैसा की गौतम ने कहा था, कुणाल एयरपोर्ट के बहार अनिका का वेट करते हुए खड़ा था..

 तभी अचानक kunal ki नज़र एयरपोर्ट के दरवाजे पर पड़ी.. और कुछ देख कर उसकी नज़र वही अटक गयी... कुणाल ने एयरपोर्ट से बहार आते हुए एक लड़की को देखा तो वो देखता ही रह गया.. मानो जैसे उसने आज से पहले किसी खूबसूरत लड़की को देखा ही ना हो.. उस लड़की को देख कर कुणाल के मुँह से निकल जाता है 

"यार इतनी खूबसूरत लड़की तो मनाली में कभी दिखी ही नहीं....”

कुणाल बिना वक़्त गवाए, रेलिंग कूदकर उस लड़की की ओर दौड़ पड़ा.. और अचानक से वो उस लड़की के सामने आ कर खड़ा हो गया और उसका रास्ता रोक लिया.... ये खूबसूरत लड़की और कोई नहीं, बल्कि अनिका थी. कुणाल इस बात से बिल्कुल अनजान था... 

"अनिका के बदले हुए रूप के कारण वह उसे पहचान नहीं पाया था...
.अचानक कुणाल को अपने सामने देखकर अनिका हैरान थी.... और उसे एक ही पल में वह सब कुछ याद आ गया जो वह हमेशा से भूलना चाहती थी....अनिका एक पल के लिए सेहम गयी.. और उसको लगा की कही पहले की तरह कुणाल फिर से उसका इंसल्ट न कर दे, और इसलिए अनिका सीधा कुणाल को थप्पड़ जड़ देना चाहती थी.. मगर वह अपनी बेटी रिया के सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी..... और तभी अचानक कुणाल बोल पड़ा..

"हेलो मिस gorgeous ! आप मनाली में पहली बार आई लगती हैं.. क्योंकि अगर पहले आई होती तो यह तो पॉसिबल नहीं है कि अब तक आप मेरी नज़रो से unnoticed रहती.."

- अनिका कुणाल की बात को अवॉयड करते हुए वहां से साइड हो कर टैक्सी को आवाज़ देने लगी..

- "टैक्सी.... टैक्सी"

अनिका नहीं चाहती थी की कुणाल उसे पहचाने.. लेकिन कुणाल भी हार मानने वालो मेसे थोड़ी था...!- कुनाल ने उसकी तरफ भाग कर फिर से उसका रास्ता रोक दिया.....
"अरे अरे.. टैक्सी की क्या जरूरत है.. मैं अपनी गाड़ी में आपको जहां चाहे छोड़ देता हूं न...और एक मिनट.. यह नन्ही गुड़िया कौन है?"
यह कहते हुए उसने रिया की तरफ इशारा किया..और उसके गाल पर हाथ फिराया..

"ओह..समझ गया यह आपकी छोटी बहन है...है ना?
यह सुनकर रिया ज़ोर ज़ोर से हंस पड़ी..तभी एक टैक्सी अनिका के पास आ कर रुक गयी..
अनिका ने जल्दी जल्दी में रिया को टैक्सी में बिठाया और खुद जब टैक्सी में बैठने जा रही थी तब कुणाल ने थोड़ा मायूस होते हुए कहा..

वैसे आपको मनाली में किसी भी चीज की जरूरत हो तो सिर्फ एक ही नाम याद रखिएगा - कुणाल डोगरा -  किसी से भी मेरा नाम पूछियेगा.. मेरे घर तक छोड़ जाएगा आपको."

 taxi वहाँ से निकलने ही वाली थी की तभी कुणाल ने टैक्सी रोकी.. और विंडो के पास जुक कर बड़े ही flirtious अंदाज़ में कहा..
 "अरे मिस..मिस..अपना नाम तो बताती जाओ”

Chapter 2 

मनाली के छोटे से एयरपोर्ट के बाहर की चहल-पहल के बीच, कुनाल ने अनिका से पूछा, "अरे मिस मिस अपना नाम तो बताती जाओ।" 

इसे सुनकर अनिका ने कुनाल को देखते हुए अपनी आंखों से काला चश्मा निकाला, और बड़े ही तेज और कटीली नजर से कुनाल को देखते हुए, बिना किसी भी हाव - भाव से धीरे से कहा, "अनिका गुलेरिया।"

कुनाल ये सुनकर दंग रह गया  वो कन्फ्यूजन में खड़ा सोच रहा था कि इस खूबसूरत लड़की ने अपना नाम अनिका क्यों बताया होगा? लेकिन तभी टैक्सी के अंदर बैठी अनिका ने कुनाल के पीछे खड़े ड्राइवर के हाथ का बोर्ड दिखाते हुए कहा, "तुम अनिका गुलेरिया को पिक करने आए हो ना?"

अब तक कुनाल भी अनिका के नाम वाले बोर्ड को देख चुका था उसने सोचा कि टैक्सी में बैठी लड़की बस वो बोर्ड पर लिखा नाम पढ़ रही थी।

इसलिए कुनाल ने आगे बढ़कर कहा, "अरे उस मोटी को तो मैं टैक्सी से भेज दूंगा, आप दोनों आराम से मेरे साथ कार में चलिए ना।" 

कुनाल की ये बात सुनकर अनिका ने उसे एक एरोगैंट स्माइल दी और टैक्सी ड्राइवर को टैक्सी चलने के लिए कह दिया । कुनाल के मुंह पर धुआं छोड़ती टैक्सी रफ्तार पकड़ कर कुनाल के सामने से निकल गयी। दो पल के लिए कुनाल मायूस हुआ, लेकिन तभी उसे कुछ याद आया। 

हड़बड़ाहट में उसने ड्राइवर के हाथ से बोर्ड लिया, और ड्राइवर को कहा, "तू फटाफट इस टैक्सी के पीछे जाकर मैडम का पीछा कर और मुझे ये बता कि वो कौन सी होटल में रुकी है और सुन उन्हें बिल्कुल शक नहीं होना चाहिए, चल भाग।"

ड्राइवर झट से गाड़ी निकालकर अनिका की गाड़ी का पीछा करने लगा। एयरपोर्ट से मनाली लगभग 1:00 से 1:30 घंटे का रास्ता था। रिया ने वापस अपने कान पर हेड फ़ोन्स लगाए और वो  टेबलेट पर गेम खेलने में बिजी हो गयी। 

वैसे रिया को देख कर कोई ये नहीं कह सकता था कि वो एक लड़की है, जींस, स्पोर्ट्स शूज, टीशर्ट, छोटे बाल  और सर पर कैप। रिया की उम्र भले ही छोटी थी मगर उस पर मॉडर्न टेक्नोलॉजी का काफी ज्यादा प्रभाव था। गेमिंग की दुनिया में रिया 'स्वीट एंजल' के नाम से काफी पॉपुलर थी। 

रिया को गेम खेलते हुए देख अनिका सोच रही थी की पाता नहीं रिया को मनाली लाकर उसने सही काम किया था या गलत ! मोबाइल की रिंग से अनिका अपने खयालो से बाहर आयी तो उसने देखा की उसके पापा गौतम बार-बार अनिका के फोन पर कॉल किए जा रहे था। अनिका ने बिना फ़ोन उठाये अपने मोबाइल को साइलेंट मोड पर किया और आँखें बंद करके बैठी रही, मानो जैसे वो आने वाले तूफ़ान के लिए खुद को मन ही मन तैयार कर रही हो। 

अगले एक घंटे में अनिका की टैक्सी मनाली की सबसे बड़ी 5 स्टार होटल  'पैराडाइज इंटरनेशनल' में दाखिल हुई लेकिन उसका पीछा कर रहे राजू को होटल के मेन गेट पर ही रोक दिया गया। होटल का बेल बॉय अनिका का इंतजार पहले से कर रहा था, अनिका के आते ही बेल बॉय  उसका सामान लेकर उसे लिफ्ट की ओर ले गया।  

होटल का प्रीमियम फर्नीचर, आकर्षित एम्बिएंस, और वेलकमिंग स्टाफ को देखकर समझ में आ रहा था कि क्यों देश विदेश से आए टूरिस्ट्स मनाली की इस शानदार होटल में रुकना पसंद करते थे। बेलबॉय ने अनिका को लिफ्ट की तरफ ले जाते हुए बोला कि उसका बुकिंग प्रेसिडेंशिअल सुइट में है, जो होटल के टॉप फ्लोर पर है।

लिफ्ट में दाखिल होते ही बेलबॉय ने 24वें फ्लोर का बटन दबाकर अनिका से कहा, "मैडम, इस टॉप फ्लोर पर सिर्फ दो ही अपार्टमेंट्स हैं, एक आपका और दूसरा हमारे होटल के मालिक मिस्टर रोहित मारवा का, वो अपने बेटे और छोटे भाई के साथ यही रहते हैं।"

कुछ ही पल में लिफ्ट 24वें माले पर पहुंच गई थी। लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही अनिका ने देखा कि यह फ्लोर होटल के बाकी फ्लोर्स से ज़्यादा सुकून वाला था, इतना सुकून जितना अनिका ने शायद अपने घर में भी महसूस ना किया हो।

 

अनिका के रूम के पास जाकर बेलबॉय ने कार्ड से दरवाजा अनलॉक किया। वो कार्ड अनिका के हाथ में देकर और सामान वहीं छोड़कर चला गया। रिया अभी भी गेम खेलने में बिजी थी। अनिका रिया को रूम के अंदर लेकर आई और उसने रूम का दरवाजा बंद किया। Presidential Suite एक काफी लग्जरी अपार्टमेंट था, मॉडर्न और कंफर्टेबल बैडरूम एक शानदार लिविंग एरिया, और बड़ी सी बालकनी जहां से पूरा मनाली का नजारा दिखाई दे रहा था। 

ये Presidential Suite हर कोई afford नही कर सकता था, क्यूंकि कमरे का दिन का किराया पच्चीस हजार था। मगर world फेमस न्यूरो सर्जन डॉ. अमृता, उर्फ़ अनिका, को इससे क्या फरक पड़ने वाला था! थोड़ी देर नई जगह का आनंद उठाने के बाद रिया थककर बिस्तर पर सो गई थी। अनिका प्यार से उसे चद्दर ओढ़ा रही थी। 

तभी उसका फोन vibrate हुआ। अनिका ने देखा कि उसके पापा, गौतम, का फ़ोन आ रहा था। अनिका की आवाज़ से कहीं रिया जाग ना जाए, इसलिए हड़बड़ाहट में अनिका बेडरूम से बाहर आकर, बेडरूम का दरवाजा बंद करके फ़ोन उठाई। 

जैसे ही अनिका ने फ़ोन उठाया, गौतम ने गुस्से से तिलमिलाकर कहा, "अनिका, व्हाट काइंड ऑफ बिहेवियर इस दिस? कुनाल 2 घंटे तक एयरपोर्ट पर तुम्हारा इंतजार कर रहा था। तुम उसके साथ आई क्यों नहीं? कहां हो तुम?" 

इस पर बड़े ही शांत अंदाज़ से अनिका ने अपने पापा से कहा, "बस आ रही हूं मैं।"

ये कहते ही अनिका ने फोन काट दिया,  न-जाने क्यों लेकिन अनिका काफी डिस्टर्ब हो गयी थी। गौतम ने बचपन से लेकर आज तक अनिका के साथ चाहे जैसा भी व्यवहार किया हो, आखिर वो थे तो अनिका के पापा ही। जिनसे अनिका 6 साल बाद मिलने वाली थी। 

अनिका ने कुछ सोचकर होटल रूम को बहार से  लॉक किया और वो होटल की लॉबी में लिफ्ट के पास आकर लिफ्ट के आने का इंतज़ार करने लगी तभी अनिका  के फोन पर  उसकी असिस्टेंट राजलक्ष्मी का फ़ोन आया।

अनिका ने फ़ोन पिक किया तो राजलक्ष्मी ने अनिका का हाल पूछते हुए कहा, "मैडम आशा करती हूं आपकी फ्लाइट सेफ और कंफर्टेबल थी और आपकी नींद भी पूरी हुई होगी। याद है ना आपको रोज़ compulsory  8 घंटे सोना ही है?" 

अनिका उसकी बात को काटते हुए कहती है, "हां हाँ याद है तुम ये बताओ, तुमने मुझे फिर से वही बात बताने के लिए फ़ोन किया है जो तुम पिछले एक महीने से रोज़ मुझे बताती आ रही हो? या आज कुछ नई बात बताने के लिए फ़ोन किया है?"

राजलक्ष्मी थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली, "अरे मैडम वो फिर से वो बिजनेस टाइकून रोहित मारवा का मेल आया है । वो अपनी दादी मां का इलाज देश की सबसे बड़ी न्यूरो सर्जन डॉक्टर अमृता यानी कि आपके पास करवाना चाहते हैं । इस वक्त वो मनाली में ही है और आप भी मनाली में है। तो मैंने सोचा क्या मैं अपॉइंटमेंट फिक्स कर दूँ ?"

लेकिन तभी अनिका ने कड़क शब्दों में कहा, "बिल्कुल नहीं! ये बड़े लोग अपने बड़े बुजुर्गों की चिंता का सिर्फ ढोंग करते हैं। इनका असली मकसद तो कुछ और ही होता है। बुजुर्गों की प्रॉपर्टी, बिजनेस, या और कुछ। हमें इन लोगों से दूर ही रहना चाहिए। और वैसे भी, मनाली आने के पीछे मेरा मकसद कुछ और है। उस मकसद से मैं अपना ध्यान नहीं भटकाना चाहती। और हां, राजलक्ष्मी, ये मत भूलो कि मैं इस वक्त ऑफिशल लीव पर हूं।"

राजलक्ष्मी अनिका की असिस्टेंट ही नहीं, बल्कि उसकी दोस्त भी थी। इसलिए उसने अनिका का मूड लाइट करते हुए कहा, "OK, mam, as you wish! मगर एक बात बता दू, मैंने सुना है ये रोहित मारवा की पर्सनालिटी काफी डेशिंग है, टॉल, डार्क हैंडसम, और हां इतनी सी उम्र में इतना बड़ा बिजनेस टाइकून, देश की काफी लड़कियां उनसे सिर्फ बात करने को मर मिटने को तैयार होती हैं। और आप हैं कि रोहित आपसे खुद मिलना चाहता है और आप उसे अवॉइड कर रही हैं? अगर लाइफ में थोड़ा सा रोमांस आ ही जाता है तो इसमें नुकसान क्या है? बाकी आपकी मर्ज़ी, सोच लो। रोहित का फोटो भेजूंगी?"

अनिका समझ गई थी कि राजलक्ष्मी अब उसकी टांग खींच रही थी। तभी अनिका ने लिफ्ट को ऊपर आता देख, राजलक्ष्मी से जल्दी-जल्दी में कहा कि "अगर ऐसा है तो तुम एक काम करो, तुम ही उसे डॉक्टर अमृता बन कर मिल लो। वैसे भी यहां डॉक्टर अमृता को चेहरे से कोई नहीं जानता, यहां तो मैं सिर्फ अनिका गुलेरिया हूं! अब चलो, फ़ोन रखो।"

लेकिन राजलक्ष्मी ने भी जल्दी-जल्दी में बोला, "ठीक है, ठीक है, I होप यू एन्जॉय योर वेकेशन। और हाँ, रोहित की फोटो भेजूंगी, एक बार देख जरूर लेना।"

इसके पहले की राजलक्ष्मी अपनी बार पूरी कर पाती, अनिका हस्ते हुए फ़ोन काट देती है।

लेकिन इसके पहले की अनिका लिफ्ट के अंदर जा पाती, लिफ्ट वापस बंद होकर निचे चली जाती है। तभी अनिका को लगा जैसे मानो उसके पीछे कोई खड़ा हो। अनिका ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा, तो वो हैरान हो गई। पीछे रिया खड़ी थी, उसका चेहरा कुछ उखड़ा हुआ था, और वो बस अनिका को एकटक देखे जा रही थी।

अनिका को लगा की रिया नींद से अचानक उठ गई होगी और जब उसने अनिका को पास नहीं देखा होगा इस लिए ऐसे खड़ी होगी। इस लिए अनिका ने नीचे झुक कर प्यार से रिया के दोनों गालों पर किस किया और बोली, "मम्मा, जल्दी वापस आ जाएगी। और आते वक्त तुम्हारी फेवरेट चॉकलेट आइसक्रीम लेकर आएगी। ठीक है? चलो अब जाओ कमरे में, और आराम करो, या तो अपना favourite वीडियो गेम खेलो।"

तभी वापस लिफ्ट आ चुकी थी, लिफ्ट का दरवाजा खुला और अनिका लिफ्ट के अंदर चली गई। अन्दर जाकर अनिका ने रिया से फिर एक बार कहा, "सीधे रूम में चले जाना, हाँ, मम्मा विल मिस यू, एंड मम्मा लवज यू।"

लिफ्ट का दरवाजा बंद हो गया और लिफ्ट निचे जाने लगी। बाहर जाने की जल्दी में अनिका एक बात भूल रही थी, की उसने अपने कमरे का दरवाजा बाहर से बंद किया था। फिर भी रिया रूम में बाहर कैसे आ गयी थी??

अनिका की लिफ्ट के नीचे जाते ही अनिका के रूम के सामने वाले रूम का दरवाजा खुला, और उसमें से एक 26-27 साल का हैंडसम आदमी बाहर आया। ब्लैक चमकीले लेदर शूज, ब्लैक ट्राउजर्स, वाइट शर्ट और ब्लैक ब्लेजर। 

किसी रियासत के राजकुमार से बिलकुल कम नहीं लग रहा था वो आदमी, और लगे भी क्यों नहीं, क्योंकि ये आदमी था मारवा इंडस्ट्रीज का सीईओ रोहित मारवा। रोहित अपने कमरे से निकला, और लिफ्ट के पास खड़े बच्चे की तरफ बढ़ते हुए और उस बच्चे को डांटते हुए रोहित ने कहा, "बेटा, कितनी बार कहा है तुम्हें की ऐसे ही बिना बताये कमरे से बाहर मत निकला करो, तुम मेरी बात सुनते क्यों नहीं आर्यन?"

आर्यन? जिस लड़की को रिया समझ कर अभी कुछ ही पल पहले अनिका ने बात की थी, उसी बच्चे को रोहित किसी दूसरे नाम से पुकार रहा था? लेकिन सच बात वो यही थी, की वो बच्चा रिया नहीं, बल्कि आर्यन था। दरअसल, अनिका जिस बच्चे को रिया समझ कर उससे बात कर रही थी, वो बच्चा मशहूर बिजनेस टाइकून रोहित मारवा का इकलौता बेटा, आर्यन था। 

मारवा इंडस्ट्रीज का इकलौता वारिस, आर्यन!! और इन सब में सबसे मज़ेदार बात ये थी, कि कि रोहित का बेटा आर्यन और अनिका की बेटी रिया दोनों की शकल एक दूसरे से मिलती जुलती थी, यानी की रिया और आर्यन हमशक्ल थे!!

तो रोहित लॉबी में जिस बच्चे से बात कर रहा था, वो दरअसल आर्यन ही था और रिया अभी भी अनिका के कमरे में सो रही थी। रोहित आर्यन से बात कर रहा था लेकिन आर्यन की नज़रे अभी भी लिफ्ट के दरवाजे पर जमी हुई थी  आर्यन की गोल मटोल आँखें और और खूबसूरत मासूम सा चेहरा देखकर ऐसा महसूस होता था जैसे उसने अभी अभी आकाश से उतरता हुआ टिमटिमाता तारा देख लिया हो  रोहित ने पीछे से फिर से आर्यन को आवाज़ देते हुए कहा, "आर्यन ध्यान कहां है तुम्हारा । सुना नहीं बेटा  अंदर चलो ।"

रोहित आर्यन का हाथ पकड़ के उसे लगभग खींचते हुए रूम के अंदर  ले जा रहा होता है   तभी आर्यन ने झटके से अपना हाथ छुड़ाकर रोहित से कहा, "मुझे चॉकलेट आइसक्रीम चाहिए  " 

ये सुन कर रोहित थोड़ा हैरान हो गया  हमेशा गुमसुम और गुपचुप रहने वाले आर्यन का बर्ताव आज रोहित को कुछ अजीब लग रहा था। रोहित ने तुरंत कुछ सोच कर अपनी जेब से फोन निकाला । और होटल के cctv  रूम में फ़ोन कर के उसके रूम के बहार का cctv  फुटेज तुरंत मंगवाया। वो देखना चाहता था कि अभी अभी लिफ्ट के पास आर्यन के साथ क्या हुआ था। कुछ ही पल में सिक्योरिटी इंचार्ज लैपटॉप पर cctv  ले कर आया गया   फुटेज मैं रोहित ने जो देखा वो देखकर वो दंग हो गया। 

आर्यन एक ऐसा बच्चा था जो किसी अजनबी से तो दूर बल्कि रिश्तेदारों से भी ज्यादा ज़्यादा बात नहीं करता था, ना ही उसके पापा के अलावा किसी के साथ मिक्स हो पता होता था  लेकिन cctv में आर्यन ने  एक बिल्कुल अनजान औरत को अपने पास आने दिया । यहां तक की उसे किस भी करने दिया । ये बात रोहित को बड़ी अजीब लगी  रोहित सोच रहा था की ये कैसे हो गया, वही  आर्यन बार-बार दोहरा रहा था  

"चॉकलेट आइसक्रीम चाहिए । मुझे चॉकलेट आइसक्रीम चाहिए "

दूसरी तरफ अनीका, गुलेरिया हाउस पहुँच गयी थी  गुलेरिया हाउस  उसका अपना घर जो 6  साल पहले तक खंडहर जैसा था, लेकिन अनिका ने आज घर के मेन गेट में कदम रखा तो देखा की घर का रूप रंग पूरी तरफ से  बदल चुका था । 

गार्डन फिर से हरा भरा हो चुका था  और उसी हरे भरे बगीचे के बीचो बीच रंगीन लाइटों वाला शानदार फव्वारा था  घर के मेन गेट से अंदर आते ही अनिका को महसूस हुआ  की घर के अंदर  पार्टी चल रही थी अनिका ने गार्डन में खड़े हुए देखा की  वहां यंग लड़के लड़कियां अंग्रेजी गानों पर नाचते झूमते नजर आ रहे थे। 

वही कही एक बोर्ड लगा हुआ था जिस पे लिखा था  "Happy birthday कामिनी।" 

कामिनी  यानी अनिका की सौतेली छोटी बहन, उसी के बर्थडे की पार्टी चल रही थी। तभी गार्डन के किसी कोने से एक लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज आई। अनिका ने आवाज़ की दिशा में घूम कर देखा तो एक लड़की ज़मीन पर गिरी हुई थी, जैसे ही वो लड़की अपने कपडे साफ़ करती हुई उठी, अनिका को याद आया की वो लड़की अनिका की बुआ की बेटी प्रीति थी। 

“अगले साल  मिस हिमाचल बनूंगी  और उसके बाद मिस इंडिया।  क्या तुम अब भी कहोगी कि तुम्हारी अनिका दीदी मुझसे ज्यादा खूबसूरत है?” 

डरी सहमी प्रीति ने दबी आवाज मे कहा, "हां  अनिका दीदी बहुत सुंदर है,  हां अनिका दीदी सबसे ज़्यादा  सुंदर है ।"

कामिनी के हाथ में अनिका का पुराना फोटो था वो अपनी सहेलियों को फोटो दिखा कर पूछ रही थी।   

"ध्यान से देखो इस मोटी को  ये पागल प्रीति कह रही है कि ये मोटी मुझसे ज़्यादा सुंदर दिख है। अब तुम लोग बताओ जिसे ये मोटी सुंदर लगे, वो तो कोई पागल ही होगी ना ?"

जमीन पर गिरी प्रीति दबी कुचली आवाज में कहती है, "अनीका दीदी सचमुच बहुत सुंदर है  बस उनका वजन थोड़ा सा ज्यादा है।"

लेकिन इस बात पर तो कामिनी तिलमिला उठी, "यू स्टुपिड गर्ल । तुझे पता भी है की खूबसूरती क्या होती है?  मुझे देख   मेरे फेस को   मेरे बॉडी को देख   ये होती है खूबसूरती। ऊपर से मैं मेडिकल स्टूडेंट हूं  और इस साल मिस मनाली कंपटीशन भी जीत चुकी।” 

प्रीति की बात सुनकर सब हंस पड़े, कामिनी ने बड़े ही स्टाइल और एटीट्यूड में चलते हुए  सब लोगों से कहा   "अच्छा एक काम करते हैं  वोटिंग कर लेते हैं  आप को वोट करना है के इस मोटी और मुझ में ज्यादा खूबसूरत कौन है ठीक है?"

ये बात कह कर कामिनि ने अपने एक दोस्त से सिगरेट जलाने का लाइटर लिया और उससे अनिका की फोटो जला दी  दूर खड़ी अनिका चुपचाप ये सब देख रही थी। कामिनी ने जले हुए फोटो के टुकड़े  एक जूस के गिलास में मिला दिए और कहा,"तो गाइस, क्या आप अपने वोट के साथ तैयार हो? तो बोलो मुझे कितने वोट?"

कामिनी के सारे दोस्तों ने अपना हाथ कामिनी को वोट देने के लिए एक साथ हवा में उठा लिए।  

"बेचारी प्रीति! सारे वोट तो मुझे ही मिल गए  तुम तो हार गई  चलो कोई बात नहीं,अब हार गयी हो तो तुम्हे सजा भी मिलेगी ना, तो तुम्हारी सजा ये है की  तुम्हारी इस खूबसूरत मोटी दीदी के जले हुए फोटो की राख को मैंने इस जूस के गिलास में मिला दिया है, तुम्हे बस ये जूस पीना है।” 

लेकिन जैसे ही प्रीती ने उस जूस को पिने से मना किया, कामिनी ने प्रीति के मुँह को अपने हाथ से पकड़कर, उसके गालो को दबाया और कामिनी ने प्रीति को ज़बरदस्ती वो जूस पिलाने की कोशिश की  लेकिन इसके पहले की वो प्रीति के मुँह में जूस डाल पाती, ऐन वक़्त पर एक हाथ आकर बीच में कामिनी का हाथ पकड़कर उसे रोक लेता है। ये हाथ अनिका का था, अनीका ने गुस्से में कामिनी का हाथ इतना कस के पकड़ा था कि कामिनी की चीख निकल गई।

बिन माँ की अनिका को बचपन में  साक्षी बुआ से ही माँ का प्यार मिला था और प्रीति तो मानो अनिका की cousin  नहीं, बल्कि सगी छोटी बहन हो। अनिका प्रीति की तरफ आगे बढ़ ही रही थी, इतने में उसे लगा की प्रीति की हालत कुछ ठीक नहीं। ऐसा लग रहा था जैसे काफी वक्त से उसकी सहेलियां उसका मजाक उड़ाकर उसका तमाशा बना रही थी और इन सब की लीडर थी कामिनी। 

हाथ में वाइन का गिलास, लाल रंग का बैकलेस टॉप, काले रंग का मिनी स्कर्ट और गोल्डन रंग की ऊंची हिल्स मे कामिनी किसी ग्लैमरस मॉडल से कम नहीं लग रही थी। प्रीति ठीक से उठ पाए उसके पहले कामिनी ने प्रीति को उसकी कलाइ से पकड़ कर वापस जमीन की ओर पटक दिया।

अनिका ने कामिनी के हाथ से गलास छिनकर कहा, "हार और जीत का फैसला खेल खत्म होने के बाद होता है। और खेल अब तक खत्म नहीं हुआ।"

अनिका ने जमीन पर गिरी प्रीति को उठाया।  प्रीति ने अनिका की आंखों को गौर से देखा   प्रीति इस आँखों को, इस आवाज़ को पहचानती थी  वो समझ गयी की ये लड़की और कोई नहीं बल्कि उसकी अनिका दीदी ही थी  प्रीति अनिका का नाम लेकर तुरंत उसके गले लग गयी  ये देख कर कामिनी शौकड थी  उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था  वो समझ नहीं पा रही थी की कल तक की 120 किलो की अनिका, आज इतनी फिट, फाइन एंड गॉर्जियस कैसे दिखने लगी? ये चमत्कार आखिर हुआ कैसे ?

आसपास खड़े कामिनी के सभी दोस्त भी सरप्राइज हो गए। दोस्त आपस में ही बातें करने लगे।  

पहली दोस्त बोली, “अरे यार ये अनिका  इतनी खूबसूरत कैसे हो गई ?”

दूसरी दोस्त ने कहा, “ये तो किसी फिल्म की हीरोइन जैसी लगती है।“ 

दूसरा दोस्त बोला, “माय गॉड she looks so gorgeous.” 

सबकी बाते सुनकर अनिका ने बड़े ही रुआब से कहा, "चलो जीत किसकी हुई ये तो पक्का हो गया अब जो सजा तय की थी वो पूरी कर ली जाए?"

ये कहते हुए अनिका ने कामिनी की कलाई को पकड़ा और अनिका ने वही जूस का गिलास कामिनी को देते हुए उसे पिने को कहा कामिनी ने गुस्से से अनिका के हाथ को झटक दिया जिससे जूस का गिलास निचे गिर गया।

कामिनी गुस्से में झुलस रही थी वो बोली, "ये कैसे हो सकता है   तुम तुम इतनी बदल कैसे गई ?"

और तभी गिलास टूटने की आवाज़  सुनकर गौतम और अनिका की सौतेली मां मनीषा वहां भागते हुए आ गए । उनके वहां देखते ही कामिनी ने  नाटक शुरु कर दिया और एकदम से बेचारी बन कर कहने लगी  

"देखो मां  पापा । अनिका मेरी बर्थडे पार्टी में आकर मेरी पार्टी खराब करना चाहती है । मैंने सिर्फ इतना पूछा कि तुमने अपना वजन कैसे घटाया तो मुझसे कहने लगी । अब मैं तुमसे काफी ज्यादा खूबसूरत हूं भला तुम्हारी औकात ही क्या है मेरे सामने।"

और ये कहते ही कामिनी झूठ मुठ रोने लगी। इससे पहले कि अनीका अपनी सफाई में कुछ कहती । हमेशा की तरह गौतम ने बिना सचाई जाने अनिका को डांटना शुरू कर दिया, "बस करो अब अनिका  बहुत तमाशा हो गया एक डिवोर्स पेपर पर साइन करने के लिए कितना नाटक करोगी और? घर के अंदर चलो कुछ जरूरी बात करनी है तुमसे।" ये कहते हुए गौतम और मनीषा, अनिका का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले गए।

घर में घुसते ही गौतम दरवाजा बंद करता है और ६ साल बाद अपनी बेटी को मिलने की कोई भी ख़ुशी ना जताते हुए और सीधा मुद्दे की बात करते हुए गौतम सीधे मुद्दे की बात शुरू करता है। 

"देखो अनिका। जो हो गया सो हो गया, हम लोगों को और परेशान करके तुम्हें क्या मिलेगा? तुम मेहरबानी करके इन दो कागजात पर साइन कर दो।" अनिका ने देखा तो उसके सामने रूम के सेण्टर टेबल पर २ पेपर्स और एक पेन पड़ा था। 

अनिका ये सुन कर थोड़ा चौंक गयी, वो यहां अपने  डिवोर्स पेपर पर साइन करने आई थी । फिर ये दूसरे पेपर्स किस चीज के थे? गौतम ने मानो अनिका के मन की बात सुन ली हो वैसे उसने कहा, "दरअसल तुमसे डिवोर्स लेने के बाद हम यानी की मैं और तुम्हारी नयी माँ चाहते हैं की कुनाल और कामिनी की शादी हो जाए  कुनाल को भी इस शादी से कोई ऐतराज़ नहीं है और कामिनी तो पहले से ही कुनाल को पसंद करती थी। बस कुनाल के दादा जी की एक ही इच्छा है।"

ये कहते हुए गौतम ने अपना गाला साफ़ किया, मानो जैसे वो आगे कुछ बोलने के लिए हिम्मत जुटा रहा हो और आखिर में गौतम ने उसे वो बात बता ही दी, जिसके लिए वो आज सुबह से अनिका को फ़ोन कर करके घर पे आने को कह रहा था। 

गौतम ने असली मुद्दे पे आते हुए कहा, "अनिका दरअसल  तुम्हारी मां के गुज़र जाने के बाद उसकी फार्मा कंपनी जो तुम्हारे नाम पर हो गयी थी  वो कंपनी तुम अपनी छोटी बहन कामिनी को शादी के तोहफे में दे दो बेटा, मैंने सारे डाक्यूमेंट्स तैयार करवा लिए हैं। तुम सिर्फ सिग्नेचर कर दो।" 

अनिका ये सुन कर कुछ देर गौतम की और देखती रही वो सोच रही थी की क्या सच में उसके पापा ने वो कह दिया था जिसे वो सुन कर भी मानना नहीं चाहती थी? और तो और  वो कभी सोच भी नहीं सकती थी   कि डोगरा खानदान के साथ रिश्ता बनाए रखने के लिए उसके पापा इतना नीचे गिर सकते थे। 

एक पल के लिए भले ही अनिका थोड़ी कमज़ोर पड़ गयी हो लेकिन दूसरे ही पल उसने खुद को सँभालते हुए उसे  मेज पर रखे उन पेपर्स को देखा। बिना कुछ कहे अनिका पेपर्स की तरफ आगे बढ़ी   उसने पेन उठाई और कुछ सोच कर वो डिवोर्स पेपर के पन्नो पर फटाफट साइन करने लगी। गौतम और मनीषा ने ये देख कर थोड़ी राहत की सांस ली उनको लगा की अनिका सब कागज़ पर साइन करने को मान गयी।

लेकिन तलाक के पेपर्स पर साइन करने के बाद उसने धीरे से अपनी  मां की कंपनी के कागजात उठाये और  बोली, "अपना कहने को इस दुनिया में इस कंपनी के अलावा कुछ नहीं है मेरे पास। माफ कीजिएगा लेकिन ये कंपनी में आपको नहीं दे सकती।"

अनिका बड़ी ही शालीनता से मना करके सीधा वहां से निकल जाती है। गौतम और मनीषा को यकीन नहीं हो रहा था की अनिका, जो आज तक उसके पापा की हर एक बात चुपचाप मान लेती थी, उसने आज उनकी बात मानने से साफ़ मना कर दिया था?

अनिका की सौतेली माँ मनीषा भाग कर अनिका के पीछे जाती है और उसे रोकते हुए बोली, "क्यों हमें बर्बाद करने पर तुली हो अनिका? पहले ही एक बिन-बियाही माँ बन कर तुमने समाज में हमारी इतनी इज्जत उछाली वो कम थी क्या ? अब अपनी बहन की जिंदगी भी बर्बाद  करना चाहती हो ?"

मनीषा की बातो को अनसुना करते हुए अनिका घर के मैन गेट से बहार निकलने ही वाली थी की  तभी कामिनी उसके सामने आ खड़ी हुई और बोली, "तुम्हें क्या लगा तुम वो कंपनी मेरे नाम नहीं करोगी तो कुनाल मुझसे शादी नहीं करेगा? वेहम है ये तुम्हारा! कुनाल मुझसे शादी इसलिए करना चाहता है क्योंकि मैं उसे पसंद हूं  ना की तुम्हारी उस फैक्ट्री के लिए जैसे उसे तुम्हारे साथ करनी पड़ी थी और तुम ये सब नहीं देख सकती क्योंकि तुम बचपन से ही मुझसे जलती हो।"

अनिका ने एक कटाक्ष बरी मुस्कान के साथ कामिनी से कहा, "कौन किससे जलता है इसका नमूना तुम बाहर दिखा चुकी हो। और रहा सवाल बचपन का तो तुम्हें तो आदत है मेरी हर चीज़ को छीनने की मेरे लिए जो भी अच्छे कपड़े, अच्छे खिलोने ,अच्छी सैंडल आती थी, वो तुम ही तो रख लेती थी । लगता है अभी भी वो आदत गई नहीं तुम्हारी, जिस लड़के को मैंने divorce दिया, उसी से तुम शादी करना चाहती हो? तो ठीक है  कर लो  कोई बात नहीं   मगर कंपनी तो मैं नहीं दे सकती।"

बचपन में अनिका का फायदा हर कोई उठा ले जाता था लेकिन इसके बावजूद उसके मुँह से कभी चु तक नहीं निकलती थी   शायद इसीलिए सब ने सोचा होगा होगा की अभी भी अनिका को बेहला फुसला कर, समाज का और बहन के भविष्य का वास्ता देकर बहलाकर उसका फायदा उठाया जा सकता है, लेकिन किसी को नहीं पता था की अनिका का शरीर ही नहीं, उसका मन, उसके विचार हर कुछ इन ६ सालो में बदल चूका था आज अनिका को इस तरह सब के अरमानो पर पानी फेरता देख, सब लोग गहरे शॉक में थे।

अनिका के मुँह से ऐसे तीखे शब्द कामिनी पहली बार सुन रही थी और अब  कामिनी का पारा सातवें आसमान पर था। 

वो घुर्राती हुई अनिका से बोली, "समझती क्या हो खुद को? वजन घटा लिया तो ज़बान भी लड़ाना सिख गयी क्या? चाहे कुछ भी कह लो, मै कल भी तुमसे ज़्यादा खूबसूरत थी  और मै हमेशा तुमसे ज़्यादा खूबसूरत रहूंगी  दिखने में भी तुमसे आगे  और पढ़ने में भी तुमसे आगे  कुछ ही साल में डॉक्टर बन जाऊंगी। मुझ जैसी लड़की को छोड़कर कुनाल तुम्हारे पास वापस आ ही नहीं सकता।"

कामिनी भी नहीं जानती थी की उसके मुँह से आखिर कुनाल की बात क्यों निकल गयी थी। लेकिन उसकी इस बात पर अनिका ने भी मुस्कुरा कर कह दिया, "तो चलो एक और शर्त लगाये?"

अनिका की ये बात सुनकर ना-जाने क्यों, कामिनी का कॉन्फिडेंस अचानक से थोड़ा कम हो गया क्योंकि कही ना कही उसे हकीकत पता थी। वो अनिका का नया रूप भी देख चुकी थी और वो कुनाल की फितरत से वाकिफ भी थी और तभी घर के मैन गेट के बाहर से कुनाल की आवाज आई, "कहां गई वो मोटी मुझे एयरपोर्ट पर 2 घंटे वेट करवाया आज छोडूंगा नहीं उसे।"

कुनाल की ये बात सुन कर कामिनी टेंशन में आ गयी लेकिन अनिका वही खड़े कामिनी के सामने मुस्कुरा रही थी। 

कुनाल ने कहा, “समझती क्या है वो अपने आप को?”

कुनाल की आवाज सुनते ही कामिनी डर गई। वो नहीं चाहती थी कि कुनाल अनिका का ये बदला हुआ रूप देखें। वो दौड़कर गार्डन के बाहर की ओर गई। हाई हील्स के कारण उसे दौड़ने में परेशानी हो रही थी। मगर इन्सीक्युरिटी के मारे वो किसी तरह भाग कर गयी और किसी तरह गिरती पड़ती कुनाल के पास पहूँच कर फूली हुई साँसों से उसने कुनाल से कहा। 

कामिनी ने कहा, "कुनाल अंदर मत जाओ।"

कुनाल ये सुनकर चौका लेकिन तभी कामिनी बात बदलते हुए बोली, "मेरा मतलब उस मोटी के मुह लगकर आज के दिन तुम अपना मूड खराब मत करो ना, प्लीज।" 

लेकिन कुनाल ने कामिनी को साइड में धकेलते हुए अंदर जाने की कोशीश की। इससे कामिनी और ज़्यादा घबरा गयी और उसने अपने दोनों हाथों से ताकत लगाकर कुनाल को पकड़कर वही रोक लिया।

कुनाल इस वक़्त इतना गुस्से में था कि उसने वही खड़े-खड़े अनिका पर चिल्लाना शुरू किया, "हुँ! समझती क्या है वो अपने आप को? 2 घंटे तक मुझे एयरपोर्ट पर धुप में खड़ा रखा।"

बात हाथ से निकल जाए इसके पहले कामिनी ने कुछ सोचा और कहा, "वो दरअसल, तुमसे मिलने में उसे शर्म आ रही थी। जब गयी थी। तब 120 किलो वजन था। अब 6 साल बाद और भी मोटी हो चुकी है ना इसलिए।"

इतना कहकर कुनाल का ध्यान भटकाने के लिए कामिनी धीरे से अपनी उंगलियां कुनाल की जैकेट पर फेरने लगी और थोड़ा रोमेंटिक अंदाज से बोली, "देखो कुनाल ! आज मेरा बर्थडे है और आज मैं तुम्हें एक ऐसी गिफ्ट देने वाली हूँ जो तुम हमेशा याद रखोगे। वैसे मम्मी पापा अंदर बैठकर अभी अनिका से डिवोर्स पेपर्स पर साइन करवा रहे हैं।"

कुनाल का ध्यान अब भी घर के दरवाज़े की और था मगर कामिनी ने उसे बातो में उलझा दिया, और अपने हाथो से कुनाल का चेहरा अपनी तरफ करते हुए कामिनी आगे बोली, "you know what… वो तो मान ही नहीं रही थी, वो तो थोड़े पैसों की लालच दी, तब  जाकर  वो डिवोर्स पेपर्स पर साइन करने को राज़ी हुई।"

कुनाल , जिसके साथ कामिनी की शादी होने वाली थी, उसकी आँखों में आँखे डाल कर कामिनी झूठ पर झूठ बोले जा रही थी। और फिर, अचानक से वो कुनाल का हाथ पकड़कर बोली, "कम विथ मी, मैंने तुम्हारे और तुम्हारे दोस्तों के लिए बंगले के पीछे शानदार दावत रखी है। तुम अपने दोस्तों के साथ यहाँ एन्जॉय करो, मैं अभी तुम्हारी मनपसंद शराब और खाना भिजवाती हु।"

कहते हुए वो कुनाल का हाथ पकड़ कर उसे घर के पीछे की तरह ले गयी।

कामिनी ने कुनाल को अपने दोस्तो के साथ छोड़ दिया और खुद  बंगले के आगे की तरफ भागती हुई चली गयी।.

उसी वक़्त कुनाल के फ़ोन पर उसके ड्राईवर राजू का मैसेज आया। जिसमें लिखा था, "होटल पैराडाइस इंटरनेशनल"।

मैसेज पढ़ कर कुनाल के गुस्से से लाल चेहरे पर तुरंत ही एक स्माइल आ गई। उसे लगा की अब तो बहुत ही जल्द वो एअरपोर्ट वाली लड़की से उसकी दूसरी मुलाक़ात होगी, इसी ख़ुशी में बड़े ही अंदाज़ से उसने अपने पास पड़ी शैम्पेन की बोतल उठायी और उसे शेक कर के खोली, और ख़ुशी ख़ुशी दोस्तों के साथ एन्जॉय करने लगा।

कामिनी भागी भागी घर के आगे की तरफ अपने दोस्तों के पास आयी और उन् सब से कामिनी ने कहा, " जाओ और जा कर कुनाल को एंटरटेन करो, और उसको बातो में उलझा कर रखो। ताकि वो अनिका की तरफ ना जाए, और वो अनिका का बदला हुआ रूप ना देख सके।"

उसके दोस्तो के जाते ही कामिनी तेज कदमों से अनिका के पास आयी, जो एक कोने में खड़ी सब कुछ देख रही थी। कामिनी ने झट से अनिका का हाथ पकड़ा और इधर उधर देखते हुए वो अनिका को घर के अंदर ले गयी, और फूली हुई साँसों से अपने माथे का पसीना पोंछते हुए वो गुस्से से अनिका को देखने लगी। अनिका भी कामिनी के सामने देख रही थी। मानो दोनों आँखों आँखों से एक दूसरे को चेतावनी दे रहे हो, कुछ देर तो दोनों बहनों के बीच "कौन पहले आंख झपकेगा" वाला युद्ध चलता रहा।

लेकिन कुछ पल के बाद फाइनली कामिनी ने एक गेहरी सांस छोड़ते हुए अनिका से पूछा, "ओके फाइन, क्या चाहती हो तुम?"

अनिका के चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कराहट आ गयी, और उसने अपना सर हिलाते हुए बड़े ही शांत और सरल तरीके से कहा, "छोटी बहन हो तुम मेरी, बस इतना कहूँगी। कुनाल के पीछे इतना पागलपन ठीक नहीं। वो अच्छा लड़का नहीं है।"

ये सुनते ही कामिनी के अंदर का गुस्सा फुट पड़ा। और उसने अनिका के सामने अपनी  ऊँगली ताकते हुए कहा,"जस्ट शट अप। माइंड योर ऑन बिज़नेस। मुझे सब पता है कौन कैसा है।"

कामिनी जितनी मुँहफट थी, उतनी ही शातिर भी, उसे पता था की अपनी बहन के इमोशंस का फायदा कैसे उठाया जा सकता था, इसलिए उसने तुरंत मौके का फायदा उठा कर कहा, "अगर तुम्हें मेरी इतनी ही फिक्र है तो कंपनी मेरा नाम क्यों नहीं कर देती?"

अनिका कामिनी जितनी शातिर नहीं थी, लेकिन अब वो पहले जैसी भोली और नासमझ भी नहीं रही थी, अब पहले की तरह वो किसी को अपना फायदा नहीं उठाने देने वाली थी, कामिनी के इस सवाल से अनिका इतना तो समझ चुकी थी की कामिनी को समझाने का कोई फायदा नहीं था।

इसलिए वो आगे कुछ भी कहे बिना, मूडकर जाने लगी, ये देखकर कामिनी तुरंत अनिका के सामने, उसका रास्ता रोककर जा खड़ी हुई। और फिर टेबल पर पड़े कंपनी के पेपर्स उठाकर बड़े ही स्टाइल में पन्ने पलटते हुए कामिनी बोली, "वैसे, किसके लिए बचाकर रखनी है ये कंपनी? अपने किसी यार के लिए? या अपनी उस नाजायज औलाद के लिए?" 

इसके पहले की कामिनी बात ख़तम करे, अनिका ने कामिनी को जोरदार तमाचा जड़ दिया। घर के बहार जो  लाउड music  बज रहा था उससे कई ज़्यादा तेज़ गूंज थी इस तमाचे की। कामिनी के चेहरे पर मेकअप की एक मोटी परत होने के बावजूद, उसके चेहरे पर अनिका की उंगलियों के निशान  साफ नजर आ रहे थे। कामिनी का मुँह खुला  और आंखें चौड़ी हो गयी थी। 

अनिका गुस्से में बोली, "खबरदार अगर मेरी बच्ची को नाजायज कहा तो ज़बान खींच लुंगी। एंड आई मिन इट।"

अनिका की लाल आँखों से आंसू कम और गुस्सा ज़्यादा बह रहा था, अनिका को इतने गुस्से में पहले कभी नहीं देखा था कामिनी ने, बिना कुछ कहे वो चुप चाप अनिका का रास्ता छोड़कर साइड में जाकर खड़ी हो गयी। वो समझ गई की अगर वो इसके आगे कुछ भी बोली तोह अनिका वो सच में कर देगी जो उसने कहा था। अनिका गुस्से में अपना पर्स उठाकर बंगले से बाहर निकल गयी। जैसे ही अनिका ने टैक्सी रोकी, तभी वहां भागते हुए प्रीति आयी, अनिका ने प्यार से प्रीति के गाल पर हाथ फेरा, और फिर टैक्सी में बैठ चली गयी। 

टैक्सी में बैठकर अनिका ने पर्स से sunglasses  निकाले, और पहन लिए। तभी ड्राईवर ने रियर व्यू मिरर से अनिका को देखा। सूरज भले ही ढल चूका था, लेकिन अनिका के आंसुओ के दौर अब तक नहीं ढला था, वो दुनिया में हर चीज़ से लड़ सकती थी,मगर कोई उसकी बेटी को नाजायज कहे, ये उसे बर्दाश्त नहीं था। लेकिन इसके साथ ही उसके पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं था के रिया का बाप था कौन है।

अनिका की  प्रेगनेंसी  खुद  अनिका  के  लिए  एक  अनसुलझा  सवाल  था। ६ सालो में अनिका आज तक उसकी ज़िन्दगी की इस सबसे बड़ी पहेली को सुलझा नहीं पायी थी की उसे किसी भी लड़के ने छुआ तक नहीं था, फिर भी वो कैसे प्रेग्नेंट हो गयी थी। ये सब सोच ही रही थी वो, की तभी अचानक उसे कुछ याद आया। अनिका ने आंसू पोंछते हुए पर्स से अपना फ़ोन निकाला, और उसने अपनी फार्मा कंपनी के पुराने वफादार मैनेजर मनोज को फ़ोन लगाया।

कुछ रिंग के बाद। मैनेजर फ़ोन उठाकर कहा, "अनिका, बेटी। कैसी हो? क्या बात है? आज इतने सालों बाद, कंपनी की मालकिन ने इस मुलाजिम को याद किया।"

अनिका अपनी आवाज़ को साफ़ करते हुए कहा,"नहीं नहीं, अंकल। मैं तो सिर्फ कागज पर कंपनी की मालकिन हूँ। कंपनी के असली मालिक तो आप हैं। actually, अंकल, बस ये पूछने के लिए मैंने फ़ोन किया था कि, कंपनी ठीक तो चल रही है ना?"

मैनेजर ने थोड़ा उदास होकर कहा, "बेटा, यूं समझ लो। डूबती नाव में छेद पकड़ के बैठा हूँ। फिर भी सालाना चार पांच लाख का प्रॉफिट हो जाता है। जो मैं गौतम जी को भिजवा देता हूँ। तुम कहो तो अब से तुम्हें भिजवा दूंगा।"

अनिका ने तुरंत कहा,"नहीं अंकल, उसकी कोई जरूरत नहीं। खैर, आप अपना खयाल रखिए।"

फ़ोन काटकर अनिका वापस से एक गहरी सोच में डूब गयी, वो सोच रही थी, की आखिर ऐसी तो क्या बात है इस छोटी सी कंपनी में, जो डोगराज हाथ धोकर इस कंपनी के पीछे पड़ गए हैं। पहले मेरे ज़रिये ये फैक्ट्री हड़पने ही कोशिश की और उसी के चलते कुनाल से मेरी शादी करवाई। 

शादी के बाद मैं तुरंत प्रेग्नेंट हो गयी और फिर बैंगलोर चली गयी इस लिए मुझसे कंपनी माँगने का मौका नहीं मिला इन्हे, इस लिए अब कामिनी के ज़रिये मुझसे ये कंपनी हड़पना चाहते हैं। वो भी ऐसी कंपनी। जो ठीक से चल भी नहीं रही है?"

होटल की तरफ टैक्सी आगे बढ़ ही रही थी तभी रस्ते में उसने आइस-क्रीम का स्टॉल देखा। तो उसे याद आ गया की उसने रिया से प्रॉमिस किया था की वो उसकी फेवरेट चॉकलेट आइसक्रीम लाकर देगी, इस लिए उसने टैक्सी रस्ते में रोक कर अपना प्रॉमिस पूरा करने के लिए चॉकलेट आइस-क्रीम खरीदी और वापस टैक्सी में बैठ कर होटल की तरफ चल दी, कुछ देर बाद अनिका की टैक्सी होटल पैराडाइस इंटरनेशनल पहुंची।

होटल की रिसेप्शन से होकर अनिका लिफ्ट के पास पहुंचने ही वाली थी, कि चार पांच बॉडीगार्ड उसके आगे आ गए और हड़बड़ाहट में उन्होंने अनिका का रास्ता रोक लिया। इसी दौरान अनिका के हाथ से समान जमीन पर गिर गया।

अनिका थोड़ी सी घबरा गई, उसे लगा "कही कंपनी पाने के चक्कर में किसी ने मेरे पीछे गुंडे तो नही भेजे।

आखिर कौन थे ये लोग और क्यो रोका उन्हों ने अनिका को? 

और क्या है राज़ अनिका की प्रेग्नेंसी का? 

रोहित के बेटे और अनिका की बेटी की शकल हुबहु एक जैसी कैसी हो सकती है?

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